Fundraising September 15, 2024 – October 1, 2024 About fundraising

Rangraliya : रंगरालिया

Rangraliya : रंगरालिया

Raj
How much do you like this book?
What’s the quality of the file?
Download the book for quality assessment
What’s the quality of the downloaded files?
"कुत्ते मुझे कोई बाजारू लड़की मत समझना जो तेरी बाँहों में आ जाऊँगी" उसे भी मुझसे ऐसी हरकत की शायद उम्मीद नहीं थी। वो अभी अपने गाल सहलाता हुआ कुछ कहता कि तभी किसी के कदमों की आवाज सुनकर वो वहाँ से भाग गया।
मेरा उस पूरे दिन मूड खराब रहा। ऐसा लग रहा था जैसे वो अभी भी मेरे बूब्स को मसल रहा हो। बहुत गुस्सा आ रहा था। दोनों बूब्स छूने से ही दर्द कर रहे थे। घर पहुँच कर अपने कमरे में जब कपड़े उतार कर अपनी गोरी छातियों को देखा तो रोना आ गया। छातियों पर मसले जाने के नीले-नीले निशान दिख रहे थे।
शाम को रिटा अयी। "आज सुना है तू केशू से लड़ पड़ी?" उसने मुझसे पूछा।
"लड़ पड़ी? मैंने उसे एक जम कर चाँटा मारा। और अगर वो अब भी नहीं सुधरा तो मैं उसका सैंडलों से स्वागत करूँगी... साला लोफर" "अरे क्यों गुस्सा करती है? थोड़ा सा अगर छेड़ ही दिया तो इस तरह क्यों बिगड़ रही है। वो तेरा होने वाला नंदोई है। रिश्ता ही कुछ ऐसा है कि थोड़ी बहुत छेड़छाड़ तो चलती ही रहती 𝑅𝑒𝑎𝑑 𝑀𝑜𝑟𝑒 
Publisher:
Night Club Official
Language:
hindi
File:
PDF, 1014 KB
IPFS:
CID , CID Blake2b
hindi0
Read Online
Conversion to is in progress
Conversion to is failed

Most frequently terms